धरा पर लाये भगवद् भाषा

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बार-बार राज्य परिवर्तनों के कारण दुनियाँ के अनेक राष्ट्र बिखर गये। अपनी अस्मिता-संस्कृति-भाषा को भुला बैठे। किन्तु जिनकी आत्मा में जेरुसलेम और हीब्रू भाषा बसी रही, ऐसा यहूदी समाज, अपनी मातृभूमि से दो हजार वर्षों तक दूर रहकर भी अपनी संस्कृति की जड़ों से कटा नहीं। हीब्रू भाषा को पुनर्प्रतिष्ठित करने के इस अभियान को

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बार-बार राज्य परिवर्तनों के कारण दुनियाँ के अनेक राष्ट्र बिखर गये। अपनी अस्मिता-संस्कृति-भाषा को भुला बैठे। किन्तु जिनकी आत्मा में जेरुसलेम और हीब्रू भाषा बसी रही, ऐसा यहूदी समाज, अपनी मातृभूमि से दो हजार वर्षों तक दूर रहकर भी अपनी संस्कृति की जड़ों से कटा नहीं। हीब्रू भाषा को पुनर्प्रतिष्ठित करने के इस अभियान को प्रारम्भ करने और गति देने वाले उस ज़िद्दी बेनयहूद की संघर्ष गाथा भुवमानीता भगवद्भाषा है।

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