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माता जीवन-निर्माता

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भारतीय संस्कृति में माता का स्थान सर्वोच्च है| कौशल्या ने राम से कहा कि यदि अकेले पिता ने तुम्हें वन जाने के लिए कहा है तो तुम नहीं जाओगे - 'जो केवल पितु आयुस दाता, ते जनी आओ जानि बड़ि माता' - माता श्रेष्ठ है| माता प्रथम गुरु है| माताओं ने कैसे अपने बालकों के

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भारतीय संस्कृति में माता का स्थान सर्वोच्च है| कौशल्या ने राम से कहा कि यदि अकेले पिता ने तुम्हें वन जाने के लिए कहा है तो तुम नहीं जाओगे – ‘जो केवल पितु आयुस दाता, ते जनी आओ जानि बड़ि माता’ – माता श्रेष्ठ है| माता प्रथम गुरु है| माताओं ने कैसे अपने बालकों के जीवन को गढ़ कर उन्हें जगत विख्यात बना दिया| ऐसी राम, कृष्ण, शिवाजी आदि की पूज्य माताओं के चरित्रों का बड़े भावपूर्ण और प्रेरणाप्रद ढंग से विवरण दिया गया है| जिसको पढ़ कर माताएं अपनी कोख को कीर्तिमान करने वाले पुत्र पैदा कर सकती हैं| शिक्षकों को ही नहीं, समाज के प्रत्येक श्रेष्ठ पुरूष को यह पुस्तक बहुत प्रेरणा देगी भाषा बड़ी सरल और बौद्धगम्य है जो मां के प्रति बालक में अगाध श्रद्धा उत्पन्न करने वाली है।

BOOK DETAILS
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  • Language: NA
  • ISBN-10: NA
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