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परिवार हमारा

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हर पीढ़ी पर रिश्ते भी कम होते जा रहे हैं। एक भाई - एक बहन जब बड़े होंगे तो इनके बच्चे कभी भी ताऊ, काका, मौसी जैसे रिश्तों से परिचित नहीं हो पाएंगे। ऐसे में इन रिश्तों को बच्चे खोजेंगे कहाँ ? गोपाल जी ने समाधान दिया है - समाज हमारा परिवार है। इसमें पनप

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Overview

हर पीढ़ी पर रिश्ते भी कम होते जा रहे हैं। एक भाई – एक बहन जब बड़े होंगे तो इनके बच्चे कभी भी ताऊ, काका, मौसी जैसे रिश्तों से परिचित नहीं हो पाएंगे। ऐसे में इन रिश्तों को बच्चे खोजेंगे कहाँ ? गोपाल जी ने समाधान दिया है – समाज हमारा परिवार है। इसमें पनप रहे अविश्वास के वातावरण को यदि हम समाप्त कर सकें तो सारे रिश्ते पुनर्जीवित हो उठेंगे। यह बाल काव्य अनिवार्यतः भारतीय बच्चों के हाथों में पहुँचना चाहिए। यह पुस्तक एक प्रयोग है बच्चों को अपनी इस रिश्तों की विरासत से जोड़ने का।

BOOK DETAILS
  • Hardcover:
  • Publisher:
  • Language: NA
  • ISBN-10: NA
  • Dimensions:
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