&

संस्कार केंद्र आयाम कृति व स्वरूप

0 Ratings

भारत के ऋषियों ने सेवा को ही बहुत बड़ा पूजन माना है। देश के ऐसे पिछड़े और अनुसूचित वर्ग में अनौपचारिक शिक्षा को पहुँचाने के लिये संस्कार केन्द्रों की स्थापना की गई है। इस पुस्तक में सेवा दर्शन, उपेक्षित और मलिन बस्तियों में संस्कार स्वावलम्बन, स्थास्थ्य बोध और स्वदेश प्रेम जगाने के लिये दिशा बोध

Out of stock

Add to BookShelf

  • Genre:
  • Originally Published:
  • Hardcover:

Overview

भारत के ऋषियों ने सेवा को ही बहुत बड़ा पूजन माना है। देश के ऐसे पिछड़े और अनुसूचित वर्ग में अनौपचारिक शिक्षा को पहुँचाने के लिये संस्कार केन्द्रों की स्थापना की गई है। इस पुस्तक में सेवा दर्शन, उपेक्षित और मलिन बस्तियों में संस्कार स्वावलम्बन, स्थास्थ्य बोध और स्वदेश प्रेम जगाने के लिये दिशा बोध और इन संस्कार केन्द्रों में चलाये जाने वाले कार्यक्रमों की रूप रेखा विस्तार से वर्णित की गई है। इस चुनौतीपूर्ण कार्य को करने के लिए यह पुस्तक अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी।

BOOK DETAILS
  • Hardcover:
  • Publisher:
  • Language: NA
  • ISBN-10: NA
  • Dimensions:
Customer Reviews

BOOKS BY &

SHARE THIS BOOK

Registration

Forgotten Password?