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वे पंद्रह दिन

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देश विभाजन के समय हमारे देश में लेखकों की कमी नहीं थी लेकिन उन्होंने इस अप्रिय सत्य की ओर से अपनी आँखे मूंदे रखी। १९४७ के विभाजन की त्रासदी में, क्रूरता और बर्बरता के उस भयानक कालखंड में, अनेक सर्वसामान्य नागरिकों और स्वयंसेवकों ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए लाखों हिन्दू-सिख भाई-बहनों को

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Overview

देश विभाजन के समय हमारे देश में लेखकों की कमी नहीं थी लेकिन उन्होंने इस अप्रिय सत्य की ओर से अपनी आँखे मूंदे रखी।

१९४७ के विभाजन की त्रासदी में, क्रूरता और बर्बरता के उस भयानक कालखंड में, अनेक सर्वसामान्य नागरिकों और स्वयंसेवकों ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए लाखों हिन्दू-सिख भाई-बहनों को पाकिस्तान से सुरक्षित भारत में पहुचाया।

०१ अगस्त १९४७ से १५ अगस्त १९४७ तक इन १५ दिनों में जो भी भीषण घटनाएँ हुई है उसका सत्य इस पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है।

BOOK DETAILS
  • Hardcover:
  • Publisher:
  • Language: NA
  • ISBN-10: NA
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