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Genre:must-read|Psychology
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Originally Published:
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Hardcover:
Overview
ऐसी सर्व मान्यता है कि मन के जीते जीत है और मन के हारे हार – मन क्या है शरीर में उसका स्थान कहां है? क्या मन मस्तिष्क में रहता है या हृदय उसका आधार है? मन तथा उसकी शक्तियों पर दर्शन शास्त्र मनोविज्ञान काव्य रचनाओं में अलग-अलग ढंग से विचार किया गया है| शिक्षा क्षेत्र में भी मनोमय कोष की शिक्षा भावों से संबंधित है| मन को एकाग्र करके ध्यान तथा समाधि की स्थिति को प्राप्त किया जा सकता है| जब मन स्वस्थ रहता है| तो आनंद की अनुभूति होती है जीवन में निराशा तथा हताशा नहीं आती| परंतु मन में दुर्बलता आने पर अनेकों मनोविकार उत्पन्न हो जाते हैं| जिनका लेखक ने संक्षिप्त परंतु अति महत्वपूर्ण और ज्ञानवर्धक विवेचन किया है| मन बहुत चंचल है जो इंद्रियों के पीछे भाग कर प्रिय मार्ग पर अग्रसर हो जाता है| इसको कैसे नियंत्रण में लाकर श्रम मार्ग पर चलाया जा सकता है| पुस्तक इसका बहुत सटीक विवेचन करने वाली है| दर्शन मनोविज्ञान, साधना सभी क्षेत्रों के पाठक इससे लाभान्वित हो सकते हैं|
BOOK DETAILS
- Hardcover:
- Publisher:
- Language: NA
- ISBN-10: NA
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