संजीवनी विद्या
पौराणिक ग्रंथों में संजीवनी विद्या का उल्लेख बार-बार किया गया है | राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य को यह विद्या प्राप्त थी| यह संजीवनी विद्या देवपक्ष की ओर से किसी को भी ज्ञात नहीं थी| अत: उसे हस्तगत करने के लिए देवगुरु बृहस्पति का पुत्र कच शुक्राचार्य के पास किस प्रकार गया और वहाँ रहकर भी शुक्रकन्या देवयानी के प्रेमपाश में न फंसते हुए उसने अपना हेतु किस प्रकार सिद्ध किया , यह वृत्तांत महाभारत में अत्यंत सुन्दर एवं विस्तृत ढंग से वर्णित है|
अनुक्रमाणिका
1. संजीवनी विद्या 2.गणपति 3. सुदर्शन चक्र 4. त्रिशंकु 5. भारत सावित्री