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विद्यालय में संस्कारक्षम वातावरण

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सभ्यता एवं संस्कृति की परम्पराओं को सुरक्षित रखने तथा सांस्कृतिक विकास का एकमात्र साधन शिक्षा है। एक महान शिक्षाविद् ने कहा है कि आप मुझे अपने कक्षा कक्षों में ले चलो तो मैं आपके देश का भाग्य लिख दूंगा कि इस समाज का भविष्य उज्ज्वल है या यह नष्ट हो जाएगा। जैसा समाज हम निर्माण

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सभ्यता एवं संस्कृति की परम्पराओं को सुरक्षित रखने तथा सांस्कृतिक विकास का एकमात्र साधन शिक्षा है। एक महान शिक्षाविद् ने कहा है कि आप मुझे अपने कक्षा कक्षों में ले चलो तो मैं आपके देश का भाग्य लिख दूंगा कि इस समाज का भविष्य उज्ज्वल है या यह नष्ट हो जाएगा। जैसा समाज हम निर्माण करना चाहते हैं, वैसे ही संस्कार हमें अपने विद्यालयों के माध्यम से देना आवश्यक है। इस दिशा में विद्या भारती ने इस पुस्तक में सारी रूपरेखा प्रस्तुत की है कि हमारे विद्यालयों में संस्कारक्षम वातावरण कैसे निर्माण हो।

BOOK DETAILS
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  • Language: NA
  • ISBN-10: NA
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