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लालयेत पंचवर्षाणि, शिशु शिक्षा: दिशा एवं स्वरूप

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शिशु शिक्षा के क्षेत्र में ऐसी शिक्षा की आवश्यकता है जो बचपन से ही बालक के जीवन में उच्च आदर्शों का समावेश करा सके तथा उनका बौद्धिक विकास भी कर सके। बालक जन्म से लेकर पांच वर्ष तक मां की, दादा-दादी की गोद में किलकारियां भरता हुआ सामाजिक परम्पराओं, मान्यताओं को उतार लेता है। भारतीय

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शिशु शिक्षा के क्षेत्र में ऐसी शिक्षा की आवश्यकता है जो बचपन से ही बालक के जीवन में उच्च आदर्शों का समावेश करा सके तथा उनका बौद्धिक विकास भी कर सके। बालक जन्म से लेकर पांच वर्ष तक मां की, दादा-दादी की गोद में किलकारियां भरता हुआ सामाजिक परम्पराओं, मान्यताओं को उतार लेता है। भारतीय परम्पराओं के अनुसार बालक को गर्भ अवस्था से लेकर पांच वर्ष तक की शिक्षा पर विचार एक समग्रता से करने की आवश्यकता है। इस दृष्टि से इस पुस्तक का बालक के पालन पोषण और उसको सही मानव बनाने में बड़ा लाभदायक सिद्ध होगा।

BOOK DETAILS
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  • Language: NA
  • ISBN-10: NA
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