योग प्राचीन भारत का ऐसा दर्शन एवं मनोविज्ञान है जिसकी आज सारे विश्व में चर्चा ही नहीं अपितु तीव्र जिज्ञासा जागृत हो रही है। आज भौतिकवाद से पीड़ित मानव को नाना प्रकार की शारीरिक और मानसिक विकृतियों से मुक्त करा कर समाज को भी अपराध वृत्तियों से बचा सकता है। विद्या भारती ने इसको अपने अनिवार्य पाठ्य-क्रम में स्थान देकर इसकी पुष्टि की है। पुस्तक में पातंजल योग तथा षटचक्र, प्राणायाम आदि के महत्व तथा योग की क्रियाओं को अधिक से अधिक उपयोगी बनाने की दृष्टि से बड़े विस्तार से वर्णन किया गया है, जो चिकित्सयों, शिक्षकों और मनोरोग विशेषज्ञों के लिये समान रुप से उपयोगी है। इस पुस्तक का अंग्रेजी संस्करण भी उपलब्ध है।
योग शिक्षा क्या, क्यों और कैसे?
योग प्राचीन भारत का ऐसा दर्शन एवं मनोविज्ञान है जिसकी आज सारे विश्व में चर्चा ही नहीं अपितु तीव्र जिज्ञासा जागृत हो रही है। आज भौतिकवाद से पीड़ित मानव को नाना प्रकार की शारीरिक और मानसिक विकृतियों से मुक्त करा कर समाज को भी अपराध वृत्तियों से बचा सकता है। विद्या भारती ने इसको अपने अनिवार्य पाठ्य-क्रम में स्थान देकर इसकी पुष्टि की है। पुस्तक में पातंजल योग तथा षटचक्र, प्राणायाम आदि के महत्व तथा योग की क्रियाओं को अधिक से अधिक उपयोगी बनाने की दृष्टि से बड़े विस्तार से वर्णन किया गया है, जो चिकित्सयों, शिक्षकों और मनोरोग विशेषज्ञों के लिये समान रुप से उपयोगी है। इस पुस्तक का अंग्रेजी संस्करण भी उपलब्ध है।
Weight | 240.000 g |
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Dimensions | 21.4 × 13.7 × 0.8 cm |
Language | हिन्दी |
Blinding | |
Pages | 236+2 |
Author |
Dr. Satyapal Duggal |
Publisher |
Vidya Bharti Sanskriti Shiksha Sansthan |
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