शिक्षा किसी भी देश की सभ्यता और संस्कृति का अनिवार्य अंग है | शिक्षा के व्दारा न केवल व्यक्ति का सर्वांगीण विकास होता है, वरन सामाजिक एवं सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण भी यह करती है | नयी पीढ़ी अपनी संस्कृति के प्रति आस्था और निष्ठा उसी शिक्षा के माध्यम से रख सकती है, जिसका आधार उनकी अपनी संस्कृति हो | श्री तोमर का चिन्तन अनेक दृष्टियों से मौलिक है | इनकी भाषा और शैली प्रभावशाली है | हमें आशा है की श्री तोमर के इस ग्रन्थ का शिक्षा-जगत समुचित स्वागत करेगा और वे सभी लोग उनके ग्रन्थ से लाभान्वित होंगे जो शिक्षा व्दारा नव राष्ट्र-निर्माण के कार्य में संलग्न है |
Weight | 230.00 g |
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Publisher |
Suruchi Prakashan |