भगवान श्रीकृष्ण के व्दारा प्रतिपादित किया हुआ तत्वज्ञान भारतीय और विश्व साहित्य में श्रीमदभगवत् गीता के नाम से प्रसिद्ध है | श्रीमन्महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण के मुंह से समय-समय पर विभिन्न प्रसंगों में राजनीती के साथ ही संसार के मूल तत्वों की और मानव जीवन के ध्येय की भी अनेक स्थानों में सम्यक चर्चा हुई | तत्वज्ञ के रूप में उनके जीवन की ओर दृष्टिपात करते हुए उन सभी उद्गारों का विचार करना आवश्यक है | परन्तु श्रीमद् भगवतगीता में भगवान श्रीकृष्ण का सम्पूर्ण तत्वज्ञान आ गया है और उनके व्दारा अन्यत्र व्यक्त किये गये विचार तात्विक रूप से भिन्न नहीं है, इस कारण गीता की समालोचना का अर्थ वास्तव में तत्वज्ञ श्री कृष्ण की भूमिका की समालोचना ही है |