यह पहली पुस्तक है जिसके अपेक्षित पाठक वर्ग में ( Target Reader ) अभिभावक, पालक, माता – पिता हैं। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहाँ अधिकांश परिवारों में माता-पिता दोनों जीविका उपार्जन की दृष्टि से कार्यरत हों, परिवार के सदस्यों के बीच संवाद के लिए मिलने वाला समय और अवसर कम हो गए हों, जीवन से अपेक्षाएँ बढ़ी हों, बच्चों पर पाठ्यक्रम- गृहकार्य- कोचिंग- परीक्षा का अत्यधिक बोझ हो और जीवन में चुनौतियाँ बढ़ती जा रही हों, पालकाय नमः में संजोए गए विचार-सूत्र अभिभावकों के लिए उपयोगी होंगे ।
पालकाय नमः
यह पहली पुस्तक है जिसके अपेक्षित पाठक वर्ग में ( Target Reader ) अभिभावक, पालक, माता – पिता हैं। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहाँ अधिकांश परिवारों में माता-पिता दोनों जीविका उपार्जन की दृष्टि से कार्यरत हों, परिवार के सदस्यों के बीच संवाद के लिए मिलने वाला समय और अवसर कम हो गए हों, जीवन से अपेक्षाएँ बढ़ी हों, बच्चों पर पाठ्यक्रम- गृहकार्य- कोचिंग- परीक्षा का अत्यधिक बोझ हो और जीवन में चुनौतियाँ बढ़ती जा रही हों, पालकाय नमः में संजोए गए विचार-सूत्र अभिभावकों के लिए उपयोगी होंगे ।
Weight | 144.000 g |
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Dimensions | 21.2 × 13.7 × 0.8 cm |
Language | हिन्दी |
ISBN | ISBN 978-93-85256-60-8 |
Blinding | |
Pages | 128+2 |
Author |
Shri Dilip Vasant Betkekar |
Publisher |
Vidya Bharti Sanskriti Shiksha Sansthan |
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