गोरक्षा राष्ट्र रक्षा – गोसेवा जन सेवा
इस छोटी सी पुस्तिका में अपने प्राचीन धर्मशास्त्रों के साथ-साथ वर्तमान में गोरक्षा हेतू चलने वाली व्यवस्थाओं का ”गागर में सागर भरने” का जो प्रयास किया है वह वास्तव में बहुत ही प्रशंसनीय है |
गोरक्षा राष्ट्र रक्षा – गोसेवा जन सेवा
इस छोटी सी पुस्तिका में अपने प्राचीन धर्मशास्त्रों के साथ-साथ वर्तमान में गोरक्षा हेतू चलने वाली व्यवस्थाओं का ”गागर में सागर भरने” का जो प्रयास किया है वह वास्तव में बहुत ही प्रशंसनीय है |
Weight | 105.00 g |
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Publisher |
Suruchi Prakashan |