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Genre:Education
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Originally Published:
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Hardcover:
Overview
आज का शिशु कल का श्रेष्ठ नागरिक बनने वाला है। उसको जिस दिशा में मोड़ दिया जाएगा जीवन भर उसी दिशा में उसका जीवन संचालित होगा। प्राचीन भारत में ऐसा प्रावधान रहा कि बालक पांच वर्ष तक माता की गोद में, दादी के दुलार में, परिवार के सारे संस्कार ग्रहण करे, फिर उसके पश्चात विद्यालीय शिक्षा के लिए भेजा जाए। परन्तु आज बालक को यह पारिवारिक तथा सामाजिक संस्कार नहीं मिल पा रहे हैं क्योंकि उसे बहुत छोटी अवस्था में ही पाठशालाओं में भेजने की नगरीय व्यवस्था में फंसा दिया जाता है। पुस्तक इस दिशा में महत्वपूर्ण मार्गदर्शिका का कार्य करती है कि बालक को चरित्रवान बनाने हेतु शिशु को किस प्रकार से विकसित करना है कि उसका व्यक्तित्व निखरे और वह संस्कारवान नागरिक बन सके।
BOOK DETAILS
- Hardcover:
- Publisher:
- Language: NA
- ISBN-10: NA
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